बलरामपुर

कन्या महाविद्यालय में हुआ जनजाति समाज का गौरवशाली अतीत विषय पर कार्यशाला।

बलरामपुर (ट्रैक सिटी)/ भारत सरकार द्वारा जनजाति समाज का गौरवशाली अतीत, ऐतिहासिक, समाजिक एवं आध्यात्मिक योगदान पर कार्यशाला आयोजित किया जा रहा है। इसी कड़ी में उच्च शिक्षा विभाग रायपुर के निर्देश के परिपालन में शासकीय नवीन कन्या महाविद्यालय बलरामपुर में प्राचार्य अगस्टिन कुजूर के संरक्षण में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। शासकीय महाविद्यालय बलरामपुर के प्राचार्य नन्द कुमार देवांगन की अध्यक्षता, मुख्य अतिथि जनपद सीईओ बलरामपुर रणवीर साय, वक्ता के रूप में सहायक प्राध्यापक एन.के. सिंह उपस्थिति थे। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती, छत्तीसगढ़ महतारी एवं जनजाति समाज के गौरव भगवान बिरसा मुंडा के छायाचित्र पर दीप प्रज्वलित कर किया गया।

कार्यशाला का उद्देश्य जनजाति समाज के गौरवशाली अतीत, आदिवासी वीर, वीरांगनाओं का स्वाधीनता आंदोलन में योगदान और बलिदान को याद करना था। प्राचार्य एन.के. देवांगन ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमें आदिवासी समाज के संस्कृति एवं सामाजिक, आध्यात्मिक योगदान को हमेशा याद रखना चाहिए। मुख्य अतिथि श्री रणवीर साय ने कहा कि आदिवासी समाज का इतिहास बहुत प्राचीन है। हड़प्पा सभ्यता के अवशेष से आदिवासी समाज के साक्ष्य प्राप्त होते हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासी संस्कृति में बस्तर क्षेत्र के आदिवासियों का गौर नृत्य विश्व का सबसे सुंदर नृत्य माना जाता है। सहायक प्राध्यापक श्री एन.के. सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि तिलका मांझी के नेतृत्व में दमन विद्रोह, वीर बुधु भगत का गोरिल्ला युद्ध, सिद्धू और कानून मुर्मू के नेतृत्व में संथाल विद्रोह, बिरसा मुंडा के नेतृत्व में विद्रोह, गुंडाधुर के नेतृत्व में भूमिकल आंदोलन, टाना भगत विद्रोह, वीर नारायण सिंह का विद्रोह, भीलों एवं नागाओं के विभिन्न आंदोलन और विद्रोह जनजाति समाज के संघर्ष और बलिदान की एक समृद्ध परंपरा रही है। आदिवासी वीरांगना फूलों और झानो मुर्मू, रानी दुर्गावती, झलकारी बाई, राजकुमारी सिनगी दाई, नागालैंड की रानी गाइडिन्ल्यू के संघर्ष और विद्रोह, समाज सेवा के क्षेत्र में संत गहिरा गुरु और माता राजमोहिनी देवी के योगदान को बहुत ही विस्तार से बताया गया। कार्यशाला में उपस्थित अतिथियों को साल व श्रीफल देकर सम्मानित किया गया।

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