बिना लक्षण या हल्के लक्षण वाले कोरोना मरीजों को अब अपने घरों पर 14 दिनों के बजाय सिर्फ 7 दिन आइसोलेट या क्वारंटीन रहना होगा। यही नहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ताजा गाइडलाइन में ऑक्सीजन सैचुरेशन का पैमाना भी 94% से बदलकर 93% कर दिया गया है।
गाइडलाइन के मुताबिक आइसोलेशन के इन 7 दिनों की शुरुआत कोरोना की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने के दिन से मानी जाएगी। आइसोलेशन के दौरान अगर मरीज को लगातार 3 दिनों तक बुखार नहीं तो उसे आठवें दिन से कोरोना निगेटिव माना जाएगा। इसके लिए कोरोना की जांच भी जरूरी नहीं होगी।
किन्हें एसिम्पटोमेटिक मरीज माना जाएगा?
एसिम्पटोमेटिक मरीज ऐसे लोग को माना जाएगा जिनकी रिपोर्ट तो कोरोना पॉजिटिव आए, लेकिन उनमें कोरोना का कोई लक्षण न हों। वहीं, कमरे की सामान्य हवा में ऑक्सीजन सैचुरेशन 93% से अधिक हो। इससे पहले ऑक्सीजन सैचुरेशन का यह पैमाना 94% था।
ऐसे मरीजों को हल्के लक्षण वाला माना जाएगा जिनमें बुखार के साथ या बुखार के बिना ऊपरी श्वसन तंत्र यानी अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट से जुड़े लक्षण हों, लेकिन उन्हें सांस लेने में कोई दिक्कत न हो। इसके अलावा उनका ऑक्सीजन सैचुरेशन 93% से ज्यादा हो।
कैसे मरीज होम आइसोलेट किए जाएंगे?
-अगर डॉक्टर लिखित तौर पर कह दें कि मरीज एसिम्पटोमेटिक है या फिर इसमें हल्के लक्षण हैं तो ऐसे मरीजों को होम आइसोलेट किया जाएगा।
-ऐसे लोगों को होम आइसोलेट किया जाएगा जिनके घर पर मरीज के साथ-साथ उनके संपर्क में आए परिवार को भी क्वारैंटाइन करने की व्यवस्था हो।
-मरीज की देखभाल के लिए एक व्यक्ति 24 घंटे रहना चाहिए। देखभाल करने वाला और डॉक्टर एक-दूसरे के संपर्क में तब तक रहेंगे, जब तक मरीज का आइसोलेशन खत्म नहीं हो जाता।
-एक कंट्रोल रूम का नंबर परिवार के पास रहेगा और समय-समय पर आइसोलेटेड मरीज को गाइड किया जाएगा।
क्या बुजुर्गों को भी होम आइसोलेट किया जा सकेगा?
-60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग संक्रमित और गंभीर रोगों से पीड़ित लोगों को डॉक्टर की अनुमति के बाद ही होम आइसोलेट किया जाएगा।
-HIV या कैंसर से पीड़ित मरीजों को घर पर आइसोलेट नहीं किया जाता है, लेकिन अगर डॉक्टर इलाज करने के बाद होम आइसोलेशन की अनुमित देते हैं तो ऐसा किया जा सकता है।
होम आइसोलेट मरीजों को क्या करना है और क्या नहीं?
-घर पर आइसोलेट मरीज को परिवार के बाकी सदस्यों से दूर रहना होगा। खास तौर से बुजुर्गों और गंभीर रोग से पीड़ित जैसे- बीपी, -डायबिटीज और कैंसर से पीड़ित लोगों से दूरी बनाकर रखनी होगी।
-जिस कमरे को स्वास्थ्य विभाग ने मरीज के लिए चुना है, उसी कमरे में आइसोलेट रहना होगी। बार-बार कमरा न बदलें।
-आइसोलेशन वाला कमरा खुला और हवादार होना चाहिए, ताकि ताजी हवा अंदर-बाहर हो सके। मरीज को अपने कमरे की खिड़कियां खुली रखनी चाहिए।
-आइसोलेट रहने वाले मरीज को कमरे के अंदर भी ट्रिपल लेयर मास्क का इस्तेमाल करना होगा। 8 घंटे के बाद अगर मास्क गीला या गंदा हो जाता है तो उसे बदल देना चाहिए।
-मरीज की देखभाल करने वाले व्यक्ति और मरीज दोनों को एन-95 मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए।
-मास्क को फेंकने से पहले उसे टुकड़ों में काट लें और कम से कम 72 घंटे के लिए पेपर बैग में डाल दें। इसके बाद मास्क को फेंक दें।
-मरीज को आराम करना चाहिए और शरीर में पानी की कमी नहीं होने देना चाहिए।
सावधानी बरतें और बार-बार हाथों को धोएं। कम से कम 40 सेकेंड तक साबुन से हाथ को धोएं और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें।
-मरीज को बर्तन या फिर अन्य सामान परिवार के किसी भी सदस्य से शेयर नहीं करना होगा।
-दरवाजा, स्विच बोर्ड, मास्क और दस्ताने जैसी उपयोगी चीजों को देखभाल करने वाले व्यक्ति या मरीज को साफ करते रहना चाहिए।
-मरीज को अपना पल्स और ऑक्सीजन लेवल चेक करते रहना चाहिए।
-संक्रमित व्यक्ति अपने शरीर का तापमान हर रोज चेक करेगा और अगर तबीयत बिगड़ती है तो इस बात की रिपोर्ट तुरंत डॉक्टर और कंट्रोल रूम को करनी होगी।
मास्क का उपयोग कैसे करें?
मरीज की देखभाल करने वाले व्यक्ति को ट्रिपल लेयर मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए।
जब मरीज के कमरे में जाएं तो, कोशिश करें कि N-95 मास्क लगाएं।
जब मास्क लगाकर कर रखें तो उसे संभालने के लिए हाथ से न छुएं। ऐसा करने से संक्रमण फैल सकता है।
अगर आपका मास्क गंदा या गीला हो जाता है तो इसे तुरंत बदल दें।
मास्क को फेंकने से पहले उसे टुकड़ों में काट लें और कम से कम 72 घंटे के लिए पेपर बैग में डाल दें। इसके बाद मास्क को फेंक दें।
मास्क को फेंकने के बाद हाथ जरूर धो लें।
हाथ धोने से पहले अपने शरीर के किसी भी हिस्से को न छुएं।
हाथ को साफ कैसे रखें?
जब भी हाथ धोएं तो कम से कम साबुन और पानी का 40 सेकेंड का इस्तेमाल करें।
अगर साबुन न हो तो हैंड वाश का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
हाथ धोने के बाद टॉवल या किसी साफ कपड़े का यूज करें।
तौलिया या कपड़ा गीला हो तो उसका इस्तेमाल दोबारा न करें।
हाथ के दस्ताने उतारने से पहले और बाद में हाथों को जरूर धो लें।
दस्तानों को गंदा होने पर बदल दें या धो लें।
मरीज से दूरी कैसे बनाएं?
मरीज की सांस और लार जैसी चीजों के सीधे संपर्क में आने से बचें।
मरीज की देखभाल करते वक्त डिस्पोजेबल दस्ताने का इस्तेमाल करें।
मरीज के बर्तन, पानी की बोतल, तौलिया और बिस्तर जैसी चीजों को शेयर न करें।
मरीज के बर्तनों को दस्ताने पहनकर साबुन/डिटर्जेंट से जरूर साफ करें।
दस्ताने उतारने के बाद हाथ जरूर धो लें।
मरीज के कपड़े या बिस्तर धोते वक्त ट्रिपल लेयर मास्क और डिस्पोजेबल दस्ताने का इस्तेमाल करें।
घर पर मरीज का इलाज कैसे होगा ?
मरीज आइसोलेशन के दौरान डॉक्टर से सीधे संपर्क में रहेगा और तबीयत बिगड़ने पर तुरंत रिपोर्ट करेगा।
अगर मरीज को पहले से कोई बीमारी है तो वो डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही अपनी दवाइयां ले सकता है।
डॉक्टर की सलाह पर मरीज गरारे कर सकते हैं और दिन में 3 बार भाप भी ले सकते हैं।
सोशल मीडिया की गलत जानकारियों से मरीज को बचना चाहिए।
डॉक्टर की सलाह लिए बिना खुद से दवा, ब्लड चेकअप और CT स्कैन जैसे काम न करें।
आइसोलेशन के दौरान कब डॉक्टर को दिखाना जरूरी है?
अगर तीन से ज्यादा 100 डिग्री से ज्यादा बुखार बना रहे।
सांस लेने में दिक्कत हो।
एक घंटे में कम से कम तीन बार मरीज का ऑक्सीजन सैचुरेशन 93% से कम आए।
मरीज एक मिनट में 24 बार से ज्यादा सांस ले।
छाती में लगातार दर्द या दबाव महसूस हो।
मरीज को भ्रम होने लगे और उसे उठने में दिक्कत होने लगे।
बहुत ज्यादा थकान और मांसपेशियों में दर्द होने लगे।
कब खत्म हो जाएगा होम आइसोलेशन ?
आइसोलेशन के दौरान अगर 3 दिन तक लगातार बुखार नहीं आता है तो मरीज 7 दिन में कोरोना निगेटिव माना जाएगा।
इस तरह बिना लक्षण वाले मरीजों को 7 दिनों में होम आइसोलेशन से छुट्टी मिल रही है।
7 दिन के बाद होम आइसोलेटेड मरीज को किसी भी तरह का टेस्ट नहीं कराना पड़ेगा।