कोरबा / जिले के संवेदनशील कलेक्टर ने एक और अनुकरणीय कार्य कर नजीर पेश की है। नौकरी बचाने के डर में शिक्षक एवं फाइनेंस कंपनियों के लोन के मायाजाल में फंसकर लाखों रुपए के कर्ज में डूबे पहाड़ी कोरवा भृत्य को न केवल कर्जमुक्त कर दिया वरन संबंधितों से दबाए गए लोन की पूरी राशि की ब्याज सहित वापस दिलाकर आर्थिक रूप से चिंतामुक्त कर दिया। शिकायत के महज 3 दिनों के भीतर प्रशासन की पहल को मुक्त कंठ से सराहा जा रहा।
आदिवासी विकास विभाग के आश्रम में मूलतः पदस्थ भृत्य कोरवा पिछले एक दशक से शिक्षा विभाग के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला देवपहरी में पदस्थ हैं। भृत्य ने विद्यालय में पदस्थ शिक्षक पर नौकरी बचाने के नाम पर साढ़े 7 लाख रुपए हड़पने का आरोप लगाते हुए संबंधितों पर उचित कार्यवाही की मांग करी थी। इस पर त्वरित संज्ञान लेते हुए कलेक्टर अजीत वसंत ने सहायक आयुक्त आदिवासी विकास श्रीकांत कसेर, प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी टी.पी. उपाध्याय, लीड बैंक मैनेजर एन.एस. ठाकुर को प्रकरण की संयुक्त जांच के निर्देश दिए थे। सहायक आयुक्त श्रीकांत कसेर ने बताया कि प्रकरण की जांच में यह पाया गया कि सन 2018 में शिक्षक व भृत्य कोरवा ने बैंक से 4 लाख 50 हजार का लोन लिया था। जिसमें से शिक्षक ने भृत्य को सिर्फ 2 लाख 40 हजार का भुगतान कर दिया था। 2 लाख 10 हजार शिक्षक ने स्वयं रख लिया था। इधर 2 लाख 10 हजार रुपए के लोन का भृत्य की सैलरी एकाउंट (बैंक खाता) से प्रतिमाह ब्याज कट रहा था। उक्त लोन का मूलधन 2 लाख 10 हजार व 1 लाख 51 हजार 760 रुपए का ब्याज सहित कुल 3 लाख 61 हजार 760 रुपए किसान पर कर्ज था। इस बीच भृत्य के नाम पर शिक्षक ने निजी लोन एजेंसीज के माध्यम से 6 लाख 50 हजार का दूसरा लोन लिया। जिसमें से 3 लाख 61 हजार 760 रुपए पहले लोन का सेटेलमेंट के लिए भुगतान कर दिया गया। 1 लाख 60 हजार रुपए की राशि भृत्य को भुगतान कर प्राइवेट लोन एजेंसी एवं शिक्षक ने शेष राशि 2 लाख दबा दिए। इधर दूसरे लोन का 6 लाख 50 हजार रुपए सेटल नहीं होने की वजह से भृत्य के वेतन खाते से प्रतिमाह 12 हजार 240 रुपए ईएमआई कट रहा है। इस तरह दूसरे लोन का मूलधन ब्याज सहित भृत्य को 3 लाख 71 हजार रुपए अदायगी करना है। कलेक्टर श्री वसंत की पहल पर भृत्य कोरवा को प्राइवेट फाइनेंस एजेंसी के कर्मचारी से दूसरे लोन का ब्याज की राशि वसूल 3 लाख 72 हजार का एक्सिस बैंक चेक प्रदान किया। वहीं शिक्षक से पहले लोन के दबाई गई राशि 2 लाख 10 हजार कुल 1 लाख 51 हजार 760 रुपए के ब्याज सहित कुल 3 लाख 61 हजार 760 रुपए के एसबीआई का चेक प्रदान किया गया। यह राशि भृत्य के खाते में जमा हो गया है। इस तरह प्रशासन ने न केवल भृत्य को कर्ज के भंवर से उबारा वरन सालों की उसकी कमाई ब्याज सहित वापस दिलाई। पूरे प्रकरण की जांच में भृत्य ने नौकरी के नाम पर दबावपूर्वक राशि हड़पे जाने की बात से इंकार कर उधार दिया जाना बताया।
वित्तीय व विधिक जागरूकता के लिए 28 को सतरेंगा में लगेगा कैंप
कलेक्टर श्री वसंत ने उक्त घटना के बाद आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले के दुर्गम क्षेत्रों में बसे सरंक्षित जनजातियों पहाड़ी कोरवा बिरहोर समुदाय को लोन के मायाजाल से बचने, झांसे से दूर रखने एक विशेष पहल की है। इन समुदायों के बीच वित्तीय व विधिक जनजागरूकता कैंप लगाया जाएगा। 28 मार्च को सतरेंगा से इसकी शुरुआत होगी। सहायक आयुक्त श्रीकांत कसेर ने बताया कि इसमें लीड बैंक मैनेजर से लेकर विभागीय अमला मौजूद रहेगा। इस तरह के कैंप से निसंदेह इन समुदायों को ऐसे लोन के मायाजाल के कुचक्र से दूर रखा जा सकेगा।
कर्जमुक्त हो गया भृत्य, ब्याज सहित दिलाई राशि
सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग कोरबा श्रीकांत कसेर ने जानकारी देते हुए बताया की कोरबा जिला कलेक्टर की पहल ने भृत्य से ठगी कर हड़पी गई राशि ब्याज सहित वापस दिलाई गई है। उसका न केवल दोनों लोन सेटलमेंट हो जाएगा वरन उसके खाते में राशि जमा हो जाएगी।