आमजनों की परेशानियों और डर को देखते हुए की गई कार्रवाई
कोरबा /जिला दण्डाधिकारी श्रीमती रानू साहू ने जिले के आदतन अपराधी विकास सिंह को एक साल के लिए जिला बदर कर दिया है। एसबीएस कॉलोनी मानिकपुर कोरबा निवासी 45 वर्षीय अपराधी विकास सिंह के विरूद्ध थाने में 14 अपराध विभिन्न धाराओं में दर्ज हैं। अपराधी सन् 1995 से लगातार घर में घुसकर मारपीट, बलवा, गाली गलौच, जान से मारने की धमकी, तोड़फोड़, प्रतिबंधित हथियार लेकर घुमने जैसी कई अपराधिक गतिविधियां करते आ रहा है। विकास सिंह के खिलाफ थानों में भारतीय दण्ड विधान की धारा 147, 148, 427, 448, 341, 294, 506, 323, 34, 186, 353, 325, 342, 376, 149, 188, 332, 354, 354क (1)(2), 354 (घ), 509 (ख), 420, 406, आर्म्स एक्ट धारा 25 सहित एससी-एसटी एक्ट की धार 3(1)(12) की धाराओं में 14 अपराध पंजीबद्ध कर अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया जा चुका है। अपराधी के विरूद्ध प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के तहत 110, 151/107, 116(3) के चार प्रकरण भी दर्ज हैं। अपराधी के विरूद्ध जिला बदर की कार्रवाई पुलिस अधीक्षक कोरबा के प्रतिवेदन के आधार पर की गई है। इस संबंध में जिला दण्डाधिकारी श्रीमती रानू साहू ने आदेश भी जारी कर दिया है। अगले 24 घंटों में अपराधी विकास सिंह को कोरबा जिले और सीमावर्ती जिलों जांजगीर चांपा, सक्ती, बिलासपुर, रायगढ़, कोरिया, सरगुजा, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही, सूरजपुर जिले की सीमाओं से बाहर जाने का आदेश जारी किया गया है। विकास सिंह को जिला दण्डाधिकारी न्यायालय कोरबा की पूर्व अनुमति प्राप्त किए बिना इन जिलो की सीमाओं में अगले एक वर्ष की अवधि तक प्रवेश नहीं करने का भी आदेश दिया गया है।
विकास सिंह की अपराधिक प्रवृत्ति से आमजनों में भय का माहौल व्याप्त है। उसके खिलाफ 14 अपराधिक मामलों और चार प्रतिबंधात्मक कार्रवाईयों के बाद भी अपराधिक प्रवृत्तियों पर रोक नहीं लग पा रही है। आम जनता अपराधी के विरूद्ध छोटी-मोटी घटनाओं में पुलिस रिपोर्ट करने में भी असुरक्षित महसूस करती है। अपराधी के इस क्षेत्र में रहने से भविष्य में भी उसके अपराधों में संलग्न रहने और अपने दूसरे साथियों के साथ मिलकर गंभीर अपराधों को अंजाम देने की भी संभावना है। अपराधी की लगातार अपराधिक गतिविधियों में संलग्न रहने की प्रवृत्ति से आम जनता में भय का माहौल है और जनता की परेशानियों को दूर करने के लिए विकास सिंह को छत्तीसगढ़ राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990 की धारा 3 एवं 5 के प्रावधानों के तहत जिला बदर किया गया है।