इस कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए, ग्रामीण आजीविका के अपर सचिव चरणजीत सिंह ने कहा कि ऐसे महत्वपूर्ण विषय पर कार्यशाला का आयोजन इसे एक ऐतिहासिक दिन बनाता है। यह मिशन, प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुसार लखपति दीदियां बनाने का प्रयास कर रहा है और सेवा क्षेत्र के उद्यमों की संभावनाओं की खोज एवं एकीकरण करते हुए लखपति पहल को सुदृढ़ बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। श्री सिंह ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि सेवा क्षेत्र आज सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 50 प्रतिशत और रोजगार में 31 प्रतिशत का योगदान देता है, इसलिए इस पर खुले दिमाग से चर्चा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि एसएचजी समुदाय की व्यापक भागीदारी के लिए उनके आर्थिक उत्थान और उन्हें लखपति दीदी बनने में सक्षम बनाने के लिए किस तरह की उप-योजना शुरू की जा सकती है।
ग्रामीण आजीविका की संयुक्त सचिव सुश्री स्वाति शर्मा ने संदर्भ की चर्चा करते हुए कहा कि 15 अगस्त, 2023 को प्रधानमंत्री द्वारा लखपति दीदी बनाने की घोषणा और 11 मार्च, 2024 को प्रधानमंत्री की लखपति दीदियों के साथ परस्पर बातचीत के बाद, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और इसके राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन इसे वास्तविकता बनाने के लिए प्रेरित हुए हैं। उन्होंने कहा कि मांग आधारित आर्थिक कार्यकलापों पर ध्यान केंद्रित करने का समय आ गया है और इसके लिए डीएवाई-एनआरएलएम अपने विभिन्न हितधारकों के साथ एसएचजी दीदियों को सफल सेवा क्षेत्र उद्यम बनाने के लक्ष्य को साकार करने के लिए मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करेगा।
इस अवसर पर ग्रामीण आजीविका विभाग की संयुक्त सचिव सुश्री स्मृति शरण ने कहा कि प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी लखपति दीदी के सपने को साकार करने के लिए संयोजन महत्वपूर्ण है और मंत्रालय अपने सहयोगियों के साथ मिलकर स्वयं सहायता समूह दीदियों को लखपति दीदी के रूप में आर्थिक रूप से परिवर्तित करने में मदद करने के लिए हर संभव अवसर का लाभ उठाएगा।
इस कार्यशाला का आयोजन वर्तमान परिदृश्य- सेवा क्षेत्र में महिला स्वयं सहायता समूहों के समक्ष अवसर, संभावनाएं और चुनौतियां, महिला स्वयं सहायता समूहों को सेवा उद्यमों में एकीकृत करने के सर्वोत्तम तरीकों एवं सफल मॉडलों की पहचान और विभिन्न हितधारकों के सहयोग से अर्थव्यवस्था के सेवा क्षेत्र में स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के सफल एकीकरण के लिए आगे की रणनीति और रोडमैप की समझ विकसित करने के उद्देश्य से किया गया था। प्रतिभागियों में ग्यारह मंत्रालयों, दस राज्य ग्रामीण आजीविका मिशनों और अन्य हितधारकों, सेक्टर कौशल परिषद, राष्ट्रीय संसाधन संगठनों और तकनीकी सहायता एजेंसियों के प्रतिनिधि शामिल थे। इस कार्यशाला में प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी के साथ विभिन्न सोच और विचारों पर खुली चर्चा हुई।
ग्रामीण आजीविका निदेशक सुश्री राजेश्वरी एसएम ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और कार्यक्रम की रूपरेखा बताई। समापन भाषण में, ग्रामीण आजीविका के परामर्शदाता आर एस रेखी ने परामर्श कार्यशाला के मुख्य बिंदुओं और परामर्श कार्यशाला से उभरी अंतर्दृष्टि के आधार पर भावी परिदृश्य पर प्रकाश डाला।