दुर्ग

पहली बार मैक्सिलो फेशियल सर्जरी जिला अस्पताल दुर्ग में,

जबड़ा खुल नहीं रहा था तो वेंटीलेटर से दी गई साँस, जिला अस्पताल की मैक्सिलो फेशियल सर्जन डा. कामिनी डड़सेना ने की सर्जरी,

दुर्ग 17 फरवरी (ट्रैक सिटी न्यूज़)  जिन मामलों में जबड़े नहीं खुलते, उन मामलों में सर्जरी बेहद कठिन हो जाती है और इसे सामान्यतः प्लास्टिक सर्जन ही करते हैं। आधुनिक टेक्नालाजी और विशेषज्ञ डाक्टरों की वजह से जिला अस्पताल में यह बड़ी उपलब्धि संभव हो पाई है। पहली बार जिला अस्पताल में दो फेशियल सर्जरी हुई है। इस संबंध में जानकारी देते हुए डा. बसंत चौरसिया ने बताया कि पहला मामला दुर्ग के एक मरीज अजय तिवारी से संबंधित था। गिरने से उनकी जबड़े के ऊपर की हड्डी के साथ ही कंधे की हड्डी में भी फ्रैक्चर हुआ। इस तरह का फ्रैक्चर हजार में से एक होता है और दुर्लभ है। सर्जरी में बड़ी दिक्कत यह थी कि इनका जबड़ा नहीं खुल रहा था। निर्णय लिया गया कि इन्हें बेहोश किया जाए और वेंटीलेटर के माध्यम से साँस दी जाए। मैक्सिलो फेशियल सर्जन डा. कामिनी डड़सेना ने आपरेशन आरंभ किया और डा. चौरसिया ने एनेस्थीसिया दिया और मरीज की स्थिति की मानिटरिंग की। डा. चौरसिया ने बताया कि फाइबर आप्टिक ब्रोंकोस्कोप को स्टैंड बाय रखा गया। इसकी सहायता से मानिटरिंग आसान हुई और जटिल सर्जरी पूरी करने में मदद मिली। आज मैक्सिलो फेशियल सर्जरी का एक और केस आया इसमें छावनी निवासी जगदीप का जबड़ा टूट गया था। इसके नाक में ट्यूब डाला गया और फिर वेंटीलेटर के माध्यम से साँस दी गई। इस तरह से यह दोनों जटिल सर्जरी पूरी हुई। दोनों ही मरीजों को एयर वे सिक्योर कर यह सर्जरी की गई। दोनों ही मामलों में डा. अखिलेश यादव ने हड्डी का आपरेशन कर फिक्स किया। डा. शिवांशी और डा. मारिया ने आपरेशन में सहयोग दिया। साथ ही स्टाफ नर्स शिबेन, मयूर, रमेश और शिनी ने भी अहम भूमिका निभाई। सिविल सर्जन डा. वायके शर्मा ने इसे अस्पताल की बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि जिला अस्पताल में जिस स्केल की सर्जरी हो रही है उससे पता लगता है कि हमारे चिकित्सकों की विशेषज्ञता से आम जनता को पूरा लाभ मिल रहा है। सर्जन और उनका स्टाफ पूरी तन्मयता से जटिल सर्जरी भी कर रहे हैं। जिला प्रशासन द्वारा अस्पताल की अधोसंरचना को बेहतर करने की दिशा में जो काम किया गया है उसका अच्छा नतीजा देखने में आ रहा है। उल्लेखनीय है कि मैक्सिलो फेशियल सर्जरी की अमूमन लागत डेढ़ लाख से दो लाख रुपए तक होती है और स्टेट कैपिटल तथा महानगरों में ही इसकी सुविधा उपलब्ध होती है। सीएमएचओ डा. जेपी मेश्राम एवं जीवनदीप समिति के सदस्य श्री दिलीप ठाकुर एवं अन्य सदस्यों ने मेडिकल स्टाफ को इसके लिए बधाई दी है। उल्लेखनीय है कि कोविड के दौर में फाइबर आप्टिक ब्रोंकोस्कोप जैसे अनेक उपकरणों की खरीदी की गई जिनकी वजह से जिला अस्पताल में अधोसंरचना स्थिति बहुत बेहतर हुई है और लोगों को काफी लाभ मिल रहा है।

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