छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल के माटी पुत्र एवं वरिष्ठ साहित्यकार त्रिलोक महावर जी को किस्सा कोताह कृति सम्मान से विभूषित करते हुए आज हम अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि यह सम्मान वर्ष 2021 में प्रकाशित उनके काव्य संग्रह *नदी के लिए सोचो के लिए* दिया जा रहा है।
इस पुस्तक का लोकार्पण विगत 1 जनवरी 2022 को सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री विनोद कुमार शुक्ल द्वारा रायपुर में किया गया था।
विशेष रुप से प्राकृतिक जल स्रोतों के भयावह प्रदूषण को यह पुस्तक भली-भांति इंगित करती है। नदियों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। हवा दिनोंदिन जहरीली होती जा रही है। मिट्टी रसायनों के जहर से प्रदूषित हो गई है ।कटते जंगल, पिघलते ग्लेशियर व ग्लोबल वार्मिंग पर इस रचना संग्रह में समसामयिक प्रश्न उठाए गए हैं, जो आम आदमी को भी झकझोर देते हैं।
प्रकृति के संरक्षण की आवश्यकता को देखते हुए *नदी के लिए सोचो* काव्य संग्रह का चयन किया गया है।
उल्लेखनीय है कि श्री महावर साल 1975 से रचना कर्म में हैं और मानवीय संवेदनाओं से जुड़े मुद्दों को अपनी रचनाओं में उठाते रहे हैं।
उक्त उद्गार संस्था के संचालक श्री ए असफल ने व्यक्त किये । उन्होंने श्री महावर को बधाई देते हुए उनकी निरंतर दीर्घ साहित्यिक यात्रा के लिए शुभकामनाएं भी दी तथा सम्मान समारोह के कविता पाठ सत्र में देश के विभिन्न क्षेत्रों से आये कवियों के प्रति आभार प्रकट किया।
उल्लेखनीय है अभी हाल में ही श्री महावर को भोपाल की संस्था साहित्य की बात ने मुरारी लाल श्रीवास्तव की स्मृति पुष्प शीर्ष सम्मान से सम्मानित किया था।
इससे पहले उन्हें पंडित मदन मोहन मालवीय स्मृति आराधक श्री पुरस्कार नई दिल्ली, अंबिका प्रसाद दिव्य स्मृति पुरस्कार, बस्तर चेंबर ऑफ कॉमर्स पुरस्कार, थान खमरिया हिंदी साहित्य पुरस्कार तथा पंजाब कला साहित्य अकादमी द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।
श्री महावर के अब तक पांच कविता संग्रह विस्मित ना होना, इतना ही नमक, हिज्जे सुधरता है चांद, शब्दों से परे और नदी के लिए सोचो प्रकाशित हो चुके हैं।
राजेश जोशी रामकुमार तिवारी तथा देशभर के 30 विद्वानों ने उनके कृतित्व पर कविता का नया रूपाकार संग्रह में अपने विचार प्रकट किए हैं जिसे प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री शशांक ने संपादित किया है।
श्री महावर की पुस्तक आज के समय में कविता शीघ्र ही प्रकाशित होने जा रही है।
उनकी रचनाएं देश भर की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। उन्होंने चार दशकों से भी ज्यादा समय तक आकाशवाणी एवं दूरदर्शन में कार्यक्रम प्रस्तुत किए हैं ।
श्री महावर भारतीय प्रशासनिक सेवा में वरिष्ठ अधिकारी रहे हैं, एवं वर्तमान में छत्तीसगढ़ में प्रशासन अकादमी में संचालक हैं।