कोरबा / छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वकांक्षी ग्राम सुराजी योजना के तहत गाँवो के नदी,नालों का उपचार करके उन्हें संरक्षित एवं संवर्धित किया जा रहा है। जिसका लाभ जन सामान्य को मिल रहा है। जनपद पंचायत पोड़ी उपरोड़ा अंतर्गत ग्राम पंचायत कुम्हारी दर्री के धनुवानाला के उपचार के बाद अब नाला बारहमासी हो गया है। नाले में विभिन्न जल सरंचनाओ के निर्माण से दो गांवो-कुम्हारी दर्री और अमलिबहरा के 40 किसानों को सिचाई सुविधा मिल रही है। नरवा के विकास से 30 हेक्टेयर सिंचाई रकबा बढ़ गया है। सिंचाई सुविधा मिल जाने से किसान धान की फसल के साथ ही सब्जी का उत्पादन करके आर्थिक लाभ ले रहे है। नाले में साल भर पानी भरा रहने से जहाँ ग्रामीणों को निस्तार के लिए जल मिल रहा है वहीं पशु पक्षियों और मवेशियों के लिए अब गर्मी के दिनों में भी पेयजल उपलब्ध रहता है।
धनुवा नाला 5.6 किलोमीटर लम्बा पुराना नाला है जिसमे पहले साल में मात्र 7-8 महीने ही पानी रहता था। यह नाला गर्मियों के दिनों में सूख जाता था,जिससे खेतों की सिचाई नहीं हो पाती थी। इसके साथ ही ग्रामीणों को निस्तारी जल और मवेशियों के लिय पेयजल का संकट गहरा जाता था। इन समस्याओ के निराकरण के लिए में नरवा गरुवा घुरुवा बाड़ी योजना के तहत नरवा विकास के लिए धनुवानाला चयन किया गया। नरवा विकास के लिए मनरेगा से जल सरंक्षण एवं जल सवर्धन सरंचनाये ब्रशवुड,लूज बोल्डर चेकडेम,गेबियन,चेकडेम,स्टाप डेम ,फार्म बंड,तालाब और डबरी का निर्माण कराया गया। जिसमे दो सौ से ज्यादा परिवारों को रोजगार के अवसर मिले। नरवा विकास का कार्य ग्राउंड टूथ्रिंग,रिज टू वेली कांसेप्ट के आधार पर ग्रामीणों की सहभागिता से सिचाई सुविधा,सिचाई रकबा बड़ाने,भूजल संवर्धन बड़ाने किया गया। नरवा विकास,उपचार के बाद मिटटी कटाव कम हुआ है जिससे उपजाऊ खेतो में मिटटी,मुरुम का भराव कम हुआ है। सिचाई हेतु पर्याप्त व्यवस्था से दो गाँवो के 40 किसानों का धान उत्पादन बढ़ गया है जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है। साथ ही मवेशियों के लिए पेयजल मिल रहा है। नाला उपचार से सिचाई रकबा 30 हेक्टेयर बढ गया है। गावों के भूजल स्तर में वृद्धि हुई है जिससे कुआँ,हेडपंप,बोर जो जल्दी सूख जाते थे,उसके समयकाल में वद्धि हुई है, जिससे ग्रामीण खुश है। इस सम्बन्ध में कुमारी दर्री के सरपंच श्री इन्द्रपाल का कहना है कि नरवा विकास योजना शासन की लाभकारी योजना है जिससे ग्रामीणों को आर्थिक लाभ के साथ ही परम्परागत जल स्त्रोतों का संरक्षण किया जा रहा है। नरवा विकास कार्य होने से धनुवा नाला में अब साल भर पानी भरा रहता है जिससे खेतो में इससे फसल उत्पादन बढ़ा है। इसके साथ ग्रामीणों को निस्तारी जल और पशु पक्षियों के लिए भी पानी मिल रहा है।