एमसीबी (ट्रैक सिटी)/ कलेक्टर डी. राहुल वेंकट के निर्देशानुसार आज जिला कार्यालय के सभा कक्ष में राजस्व विभाग के तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक, पटवारी, कृषि विभाग के एसएडीओ, कृषि विस्तार अधिकारी, उद्यान विभाग एवं जिला सांख्यिकी विभाग के कर्मचारियों का एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।
प्रशिक्षण में आये अभिमन्यु यादव प्रेक्षक फसल प्रयोग, आशिष कुमार शर्मा संगणक, राजस्व निरीक्षक अशोक राज तथा एसएडीओ नीरज जायसवाल ने बारी-बारी से उपस्थित अधिकारी एवं कर्मचारियों को जानकारी दी। सर्वप्रथम अभिमन्यु यादव के द्वारा वर्षा मापी यंत्र की स्थापना, निरीक्षण एवं दैनिक, साप्ताहिक तथा मासिक वर्षा की रिपोर्ट कैसे करनी है उसकी विस्तार से चर्चा की। इस दौरान उन्होंने वर्षामापी यंत्र का स्थल, वर्षामापी यंत्र की स्थापना, यंत्र की रख-रखाव की जानकारी, वर्षा की माप कैसे और कब-कब करनी चाहिए, प्रादेशिक मौसम विज्ञान केंद्र, वर्षा का निरीक्षण, वर्षा की दैनिक एवं साप्ताहिक रिपोर्ट की जानकारी भेजने की जानकारी के बारे में विस्तार से बताया।
गिरदावरी के बारे में बताते हुए प्रेक्षक ने प्रमुख फसलों के क्षेत्रफल तथा उत्पादन का अनुमान समय पर भेजने की जानकारी देते हुये बताया कि यह योजना वर्ष 1972-73 से प्रदेश में लागू है। इस योजना के तहत संभाविक न्यादर्श पद्धति द्वारा प्रदेश के 20 प्रतिशत चुने हुए ग्रामों का चयन किया जाता है। चयनित ग्रामों में पटवारियों के माध्यम से गिरदावरी कर प्रमुख फसलों के क्षेत्रफल एवं उत्पादन के आंकड़े प्राप्त किये जाते हैं। पटवारियों द्वारा की गई गिरदावरी कार्य का निरीक्षण उच्चाधिकारियों के द्वारा कर कार्य की शुद्धता सुनिष्चित की जाती है। निर्धारित ग्रामों में गिरदावरी कर विहित पत्रकों को भरकर कमशरू पटवारी, राजस्व निरीक्षक, क्षेत्रीय उपायुक्त भू-अभिलेख एवं आयुक्त भू-अभिलेख के माध्यम से शासन को भेजी जाती है। सिंचित, असिंचित तथा विपुल उत्पादन वाली फसलों के आंकड़े पृथक-पृथक पत्रकों में तैयार किये जाते हैं।
*उद्देश्य*
न्यादर्श पद्धति द्वारा चुने हुए ग्रामों में गिरदावरी के आधार पर प्रमुख फसलों के उत्पादन के अधिक विश्वसनीय एवं सही आंकड़े प्राप्त करना। प्रमुख फसलों के सिंचित, असिंचित तथा विपुल पैदावार देने वाली फसलों के क्षेत्रफल के अनुमान प्राप्त करना। प्रमुख फसलों के सिंचित, असिंचित तथा विपुल पैदावार देने वाली फसलों के उत्पादन के अनुमान प्राप्त करना। भूमि उपयोग के अनुमान तैयार करना, क्षेत्रीय उपायुक्त द्वारा किया जाता है।
राजस्व निरीक्षक मण्डल के 20 प्रतिशत ग्रामों का चयन प्रतिवर्ष किया जाता है। जिन पटवारी हलकों में 5 से कम ग्राम होते हैं उनमें से एक ग्राम, पांच से दस ग्रामों वाले हलके में से दो ग्राम तथा 10 से अधिक ग्रामों वाले हलकों में से 3 ग्रामों का चयन आवश्यक रूप से किया जाता है। सभी ग्रामों का चुनाव एक साथ 5 वर्षों हेतु एक साथ किया जाता है। प्रथम वर्ष में चुना गया ग्राम आगामी चार वर्षों तक नहीं चुना जाता। इस प्रकार 5 वर्षों में सभी ग्राम चुन लिए जाते हैं।
*प्रक्रिया चुने गये ग्रामों में गिरदावरी के आंकड़े समय पर भेजना*
पटवारी द्वारा चुने हुये ग्राम में गिरदावरी का कार्य खरीफ मौसम हेतु 30 सितंबर तक तथा रबी मौसम हेतु 15 जनवरी तक पूर्ण करना अनिवार्य होता है। खरीफ एवं रबी मौसम की गिरदावरी के लिए चुने हुए ग्राम एक ही होंगे। निरीक्षण अधिकारी सर्वप्रथम चुने हुए ग्राम के खसरा जिल्द में अंकित खसरा नंबरों को पेंसिली नंबर देगा। उड़ान नंबरों को संबंधित वास्तविक स्थान पर रखा जाएगा। सम्मिलित नंबरों को एक ही पेंसिली नंबर दिया जाएगा। बटे नंबरों को अलग अलग पेंसिली नंबर दिया जाएगा। अंतिम पेंसिली नंबर को 5 से विभाज्य संख्या में परिवर्तित किया जाएगा। प्राप्त संख्या को 4 से भाग दिया जाएगा। प्राप्त भजनफल अंतराल कहलाएगा। दिये गये संभाविक संख्या के खाने में से चयन कम के आधार पर 5 से विभाज्य उपरोक्त 5 से विभाज्य संख्या के बराबर या कम संभाविक संख्या का चयन किया जाएगा। इसी संभाविक संख्या से प्रथम समूह बनेगा। प्रथम संभाविक संख्या में अंतराल को जोडने पर द्वितीय संभाविक संख्या प्राप्त होगी इसी प्रकार द्वितीय संभाविक संख्या में अंतराल को जोड़कर तृतीय एवं तृतीय संख्या में अंतराल को जोड़कर चतुर्थ संभाविक संख्या प्राप्त होगी। प्रत्येक संभाविक संख्या से 5 नंबरों का समूह बनाया जाएगा एवं इन नंबरों से संबंधित खसरा कमांको पर की गई गिरदावरी की जांच कर प्रपत्र भरे जाएंगे।
आशिष कुमार शर्मा के द्वारा सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण हेतु जीसीईएस मोबाइल एप की जानकारी दी गयी। जिसके माध्यम से डिजिटल सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण के कार्यों को मोबाइल पर ही एप डाउनलोड कर किया जा सकता है।