बलरामपुर (ट्रैक सिटी)/ जिले में फ्लोरोसिस बीमारी से बचाव के लिए जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग द्वारा 64 फ्लोरोसिस प्रभावित बसाहटों में कार्ययोजना बनाकर शिविर व स्कूलों में व्यापक प्रचार-प्रसार व उपचार किया जा रहा है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बसंत कुमार सिंह ने बताया की साफ पानी और पौष्टिक भोजन अच्छी सेहत के लिए सबसे जरुरी चीजों में से एक है। शुद्ध पेयजल का सेवन नहीं करने से कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्यायों का सामना करना पड़ता है। फ्लोरोसिस भी असुरक्षित पेयजल से होने वाली एक गंभीर बीमारी है, जो शरीर में अत्यधिक फ्लोराइड की मौजदगी के कारण होता है। यह बीमारी अधिक फ्लोराइड वाला पानी पीने से या ज्यादा फ्लोराइड युक्त जल से सिंचित भोजन के सेवन से होता है। फ्लोरोसिस के कारण शरीर की हड्डियां विकृत हो जाती है। फ्लोरोसिस बीमारी से लोग सचेत व जागरूक हो इसलिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा शिविर व स्कूलों में बच्चों को जानकारी एवं दन्त चिकित्सक द्वारा दन्त परीक्षण कराया जा रहा है। सभी ग्राम जो फ्लोरोसिस प्रभावित है वहां के पानी की सैंपल भी पीएचई विभाग को फ्लोराइड की मात्रा के जांच हेतु भेजी जा रही है। पीएचई विभाग से रिपोर्ट मिलने पर आवश्यक कार्यवाही की जायेगी।
डॉ. बसंत कुमार सिंह ने बताया की स्वास्थ्य विभाग की टीम नियमित रूप से फ्लोरोसिस से प्रभावित गांव में जाकर इससे पीड़ित लोगों का उपचार कर रही है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के माध्यम से भी स्कूलों में फ्लोरोसिस की जांच की जाती है। जिला फ्लोरोसिस नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. खुशबू सिंह ने बताया कि फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने से दांतों में पीलापन, समय से पहले दांतों का खराब होना, शरीर की हड्डियों में विकृति और टेड़ापन सामान्य रूप से देखे जाते है। दांतों का रंग बिगड़ना, मांसपेशियों और जोड़ो में दर्द होना, हाथों और पैरों का आगे की तरफ या पीछे की तरफ मुड जाना, लम्बी दुरी तक चलने में असमर्थ होना, पेट में दर्द होना और पेट फूलना भी इस बीमारी के लक्षणों में शामिल है। डॉ. खुशबू सिंह ने बताया कि जिले के 64 बसाहट फ्लोरोसिस से प्रभावित है जिसमे अभी तक विकासखण्ड रामचंद्रपुर के लगभग 12 ग्रामों में दंत चिकित्सकों के साथ स्वास्थ्य कर्मचारियों की ड्यूटी लगाकर कैंप आयोजित की गई है। जिसमें कुल 55 फ्लोरोसिस के मरीज मिले है जिनका उपचार किया गया है। डॉ. खुशबू सिंह ने बताया की पीने के पानी में फ्लोराइड की मात्रा एक पीपीएम होना चाहिए। इससे अधिक मात्रा में फ्लोराइड का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।